No: 18 Dated: Sep, 15 2011

[बिहार अधिनियम 18, 2011] 

बिहार चिकित्सा सेवा संस्थान और व्यक्ति सुरक्षा अधिनियम, 2011 

प्रस्तावना -बिहार चिकित्सा सेवा से संबंधित व्यक्तियों के विरुद्ध हिंसा तथा बिहार राज्य के चिकित्सा सेवा संस्थानों की सम्पत्ति के नुकसान का निवारण एवं उससे संबंधित तथा आनुषंगिक विषयों के लिए अधिनियम। 

भारत गणराज्य के बासठवें वर्ष में बिहार राज्य विधान मंडल द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो : 

1. संक्षिप्त नाम, विस्तार एवं प्रारंभ | - (1) यह अधिनियम "बिहार चिकित्सा सेवा संस्थान और व्यक्ति सुरक्षा अधिनियम 2011" कहा जा सकेगा । 

(2) इसका विस्तार सम्पूर्ण बिहार राज्य में होगा । 

(3) यह तुरत प्रवृत्त होगा । 

2. परिभाषाएँ । जबतक सन्दर्भ में अन्यथा अपेक्षित न हो, इस अधिनियम में 

(i) "चिकित्सा सेवा संस्थान" से अभिप्रेत है वैसे सभी संस्थान जो राज्य, केन्द्र या स्थानीय निकाय आदि के नियंत्रणाधीन हो या निजी अस्पताल, निजी नर्सिग होम जहाँ बीमार व्यक्तियों का ईलाज होता हो या किसी बीमारी, क्षति या शारिरिक अथवा मानसिक अशक्तता के लिये आवास की सुविधा उपलब्ध कराता हो या ईलाज करता हो या दोनो कार्य करता हो, प्रसवशाला या आकक्षेप गृह सहित जनता को स्वास्थ्य सेवा प्रदान करता हो। 

(ii) "चिकित्सा सेवा व्यक्ति” से अभिप्रेत है संस्थान में कार्यरत निम्नलिखित व्यक्तिः 

  (क) चिकित्सा सेवा संस्थान में कार्यरत पंजीकृत चिकित्सक (औपबंधिक रूप से पंजीकृत सहित); 

  (ख) पंजीकृत परिचारिकाएँ: 

  (ग) चिकित्सक छात्र; 

  (घ) प्रशिक्षु परिचारिकाएँ; 

  (ड.) चिकित्सा सेवा संस्थान में नियोजित एवं कार्यरत पारा मेडिकल कर्मचारी; 

  (च) अन्य स्टाफ; 

  (छ) चिकित्सा सेवा संस्थान के परिसर के भीतर उसके कार्य में सहायक अन्य स्थापना । 

    (iii) "अभियुक्त" से अभिप्रेत है वैसे सभी व्यक्ति जो स्वयं इस अधिनियम के अधीन हिंसा करता हो या करने का प्रयास करता हो या हिंसा करने को दुष्प्रेरित या उद्दीप्त करता हो । 

    (iv) " राज्य सरकार" से अभिप्रेत है बिहार सरकार | 

    (v) "हिंसा" से अभिप्रेत है चिकित्सा सेवा संस्थानों में किसी भी चिकित्सा सेवा व्यक्ति को कर्तव्यों के निर्वाहन में कोई हानि, क्षति अथवा जीवन संकटापन्न करना, अथवा अभित्रास, अवरोध या बाधा देने अथवा चिकित्सा सेवा संस्थानो में किसी व्यक्ति द्वारा किसी भी प्रकार की संपत्ति को नुकसान करने का कार्यकलाप | 

3. अपराध । चिकित्सा सेवा व्यक्तियो के प्रति हिंसा अथवा चिकित्सा सेवा संस्थानों में किसी भी प्रकार की सम्पति के नुकसान करने का कोई कार्य इस अधिनियम के अधीन एक अपराध होगा : 

    परन्तु प्रत्येक चिकित्सा सेवा संस्थान अथवा व्यक्ति, मरीजों के प्रति संवदेनशील व्यवहार के साथ सभी विहित उपायो/मानकों को अंगीकार करते हुए, मरीजों का ससमय उपचार सुनिश्चित करेगा । मरीजों के साथ किसी के द्वारा कोई लापरवाही नही की जायगी :

    परन्तु और कि प्रत्येक चिकित्सा सेवा संस्थान एवं व्यक्ति यह सुनिश्चित करेंगे कि विहित सन्नियम और प्रक्रिया के अनुसार मरीजों का उपचार किया जायगा : 

    परन्तु और आगे कि प्रत्येक चिकित्सा सेवा संस्थान एवं व्यक्ति उस मरीज को किसी अन्य अस्पताल में रेफर करने के कारणों को समझाया/स्पष्ट किया जाना सुनिश्चित करेंगे तथा मरीज के चिकित्सीय पुर्जा में उसकी प्रविष्टि भी करेंगे । 

4. शास्ति । कोई भी अभियुक्त जो धारा-3 में वर्णित कोई अपराध करता है, अधिकतम 3 (तीन) वर्षों की कारावास की सजा और अधिकतम 50 हजार (पचास हजार) रुपये तक जुर्माने से दंडित किया जायेगा अथवा भारतीय दण्ड संहिता के अधीन कार्रवाई की जायेगी । 

5. अपराध का संज्ञान । धारा-3 के अधीन किया गया कोई अपराध संज्ञेय एवं गैर जमानतीय होगा । 

6 अनुसंधान । इस अधिनियम के अधीन रजिस्ट्रीकृत मामले का अनुसंधान पुलिस उपाधीक्षक से अन्यून पंक्ति के पुलिस अधिकारी द्वारा नहीं किया जायगा ।। 

7 संपत्ति को हुए नुकसान के लिए हानि की वसूली ।-(1) धारा-4 में विनिर्दिष्ट सजा के अतिरिक्त, अभियुक्त नुकसानग्रस्त चिकित्सा उपकरण के क्रय मूल्य की राशि की दोगुनी तथा अभियुक्त का विचारण करने वाले न्यायालय द्वारा यथावधारित सम्पत्ति को पहुँचायी गयी हानि की दोगुनी शास्ति का दायी होगा । 

    (2) यदि अभियुक्त उप-धारा (1) के दण्ड की राशि का भुगतान नहीं करता है तो उक्त रकम को बिहार और उड़ीसा लोक मांग वसूली अधिनियम के अधीन वसूल किया जायेगा मानो वह उस पर भू-राजस्व का बकाया हो |

8. अधिनियम का किसी विधि के अल्पीकरण में न होना। अधिनियम के प्रावधान तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अतिरिक्त होंगे तथा अल्पीकरण में नहीं होंगे | 

9. नियम बनाने की शक्ति । इस अधिनियम के पूर्ववर्ती प्रावधानों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, राज्य सरकार इस अधिनियम के प्रयोजनों को क्रियान्वित करने के लिए नियम बना सकेगी । 

बिहार-राज्यपाल के आदेश से, 

विनोद कुमार सिन्हा, 

सरकार के सचिव

Full Document