बिहार लोकायुक्त (संशोधन) अधिनियम, 2012
No: 10 Dated: May, 25 2012
बिहार अधिनियम 10, 2012]
बिहार लोकायुक्त (संशोधन) अधिनियम, 2012
बिहार लोकायुक्त अधिनियम, 2011 (बिहार अधिनियम 22, 2011) में संशोधन करने हेतु अधिनियम|
भारत गणराज्य के तिरसठवें वर्ष में बिहार राज्य विधान मंडल द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो :
1 संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारम्भ :- (1) यह अधिनियम "बिहार लोकायुक्त (संशोधन) अधिनियम, 2012" कहा जा सकेगा।
(2) इसका विस्तार सम्पूर्ण बिहार राज्य में होगा।
(3) यह तत्काल प्रभाव में प्रवृत्त होगा।
2. बिहार अधिनियम 22, 2011 की धारा 2 का संशोधन :- उक्त अधिनियम की धारा-2 की उप-धारा (1) में निम्नलिखित एक नया खंड (झझ) खंड (झ) के बाद जोड़ा जाएगा :
"(झझ) "कुप्रशासन" से अभिप्रेत है निम्नलिखित किसी मामले में प्रशासनिक कृत्यों के प्रयोग में की गयी या किये जाने से तात्पर्यिंत कार्रवाई :
(क) जहाँ कि ऐसी कार्रवाई या ऐसी कार्रवाई को शासित करने वाली प्रशासनिक प्रक्रिया या पद्धति, अयुक्तियुक्त, अन्यायपूर्ण, सताने वाली या अनुचित रूप में विभेदकारी हो, अथवा
(ख) जहाँ ऐसी कार्रवाई करने में उपेक्षा या असम्यक विलम्ब हुआ हो, अथवा ऐसी कार्रवाई को शासित करने वाली प्रशासनिक प्रक्रिया या पद्धति में असम्यक् विलम्ब अन्तर्वलित हो।"
3. बिहार अधिनियम 22, 2011 की धारा-28 के बाद एक नयी धारा-28क का जोड़ा जाना :- उक्त अधिनियम की धारा-28 के बाद निम्नलिखित एक नयी धारा-28क जोड़ी जाएगी:
"28क. लोकायुक्त की रिपोर्ट।- (1) यदि, ऐसे किसी कार्रवाई के अन्वेषण के बाद, जिसके बारे में किसी शिकायत को अन्तर्वलित करने वाला परिवाद किया गया हो या किया जा सकता था, लोकायुक्त का यह समाधान हो जाय कि ऐसी कार्रवाई से परिवादी या किसी अन्य व्यक्ति के साथ अन्याय हुआ है या उसे असम्यक् कठिनाई हुई है, तो लोकायुक्त, लिखित रूप में रिपोर्ट द्वारा, संबद्ध लोक सेवक तथा सक्षम प्राधिकारी से यह अनुशंसा करेगा कि ऐसे अन्याय या असम्यक् कठिनाई का उपचार या प्रतितोष रिपोर्ट में यथा विनिर्दिष्ट रीति से और समय के भीतर, कर दिया जाएगा।
(2) सक्षम प्राधिकारी उप-धारा (1) के अधीन अपने पास अग्रेषित रिर्पोट की परीक्षा करेगा और रिपोर्ट की प्राप्ति की तारीख से तीन माह के भीतर, रिपोर्ट के आधार पर की गयी या की जाने वाली प्रस्तावित कार्रवाई लोकायुक्त को संसूचित करेगा ।
(3) उप-धारा (1) में निर्दिष्ट अनुशंसा या निष्कर्षों पर की गयी या की जाने वाली प्रस्तावित कार्रवाई से यदि लोकायुक्त का समाधान हो जाय तो वह संबद्ध परिवादी, लोक-सेवक और सक्षम पदाधिकारी को सूचना देते हुए, मामले को बन्द कर देगी किन्तु यदि उसका समाधान न हो और वह मामले को इस योग्य समझती हो तो वह मामले पर विशेष रिपोर्ट राज्यपाल को दे सकेगी और संबद्ध परिवादी को भी सूचित कर सकेगी।
(4) लोकायुक्त स्वविवेकानुसार अपने द्वारा बन्द किये गये या अन्यथा निपटाये गये ऐसे मामलों का सार जो सामान्य, लोक, शैक्षणिक या वृत्तिक हित में होना उसे प्रतीत हों, समय समय पर, उस रीति से और उन व्यक्तियों को उपलब्ध करेगी, जिन्हें वह समुचित समझे ।
बिहार-राज्यपाल के आदेश से,
विनोद कुमार सिन्हा,
सरकार के सचिव ।