No: 19 Dated: Sep, 02 2016

[बिहार अधिनियम 19, 2016]
बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन अधिनियम, 2016 

बिहार में निवेश के विकास एवं प्रोत्साहन को सहज बनाने तथा उससे संबंधित अथवा आनुषंगिक विषयों के लिए उपबंध करने के लिए अधिनियम। 
           चूंकि राज्य में उपलब्ध विपुल मात्रा में प्राकृतिक एवं मानव संसाधनों के उचित उपयोग कर नए उद्यमों की स्थापना से राज्य में रोजगार सृजन करने और राज्य की जनता के जीवन स्तर में सुधार लाने हेतु बढ़ावा मिलेगा; 
          और, चूँकि, राज्य में उद्योग, सेवा और कारोबारी इकाईयों की स्थापना एवं परिचालन के लिए तथा राज्य को एक आकर्षक निवेश स्थल बनाने के लिए प्रक्रियाओं को सरल बनाना आवश्यक है; 
         भारत-गणराज्य के सड़सठवे वर्ष में बिहार राज्य विधान मण्डल द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो: 
                                                                                        अध्याय-1 प्रारंभिक। 
1. संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारंभ:- (1) यह अधिनियम "बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन अधिनियम, 2016" कहा जा सकेगा। 
    (2) इसका विस्तार सम्पूर्ण बिहार राज्य में होगा। 
    (3) यह उस तिथि को प्रवृत्त होगा जो राज्य सरकार, अधिसूचना द्वारा, नियत करे। 
2. परिभाषाएँ:-  इस अधिनियम में जब तक कि संदर्भ में अन्यथा अपेक्षित नहीं हो; 
    (क) “अधिनियम" से अभिप्रेत है, बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन अधिनियम, 2016%; 
    (ख) "क्लियरेन्स" से अभिप्रेत है अनापत्ति प्रमाण पत्र, आवंटन, सहमति, स्वीकृति, अनुमति, पंजीकरण, नामांकन, अनुज्ञप्ति एवं इस प्रकार किसी सक्षम प्राधिकार या प्राधिकारों, जो कि औद्योगिक उपक्रम बिहार राज्य में स्थापित किये जाने के लिए आवश्यक हो, द्वारा प्रदान किया जाना या निर्गत किया जाना एवं इसमें औद्योगिक प्रतिष्ठानों के वाणिज्यिक उत्पादन प्रारंभ किये जाने या परियोजना के प्रारंभ होने तक वैसे सभी क्लियरेन्स, जो भी आवश्यक हों, शामिल होंगे; 
    (ग) "आयुक्त" से अभिप्रेत है औद्योगिक विकास आयुक्त के रूप में कार्य करनेवाला राज्य सरकार द्वारा नियुक्त कोई व्यक्ति; 
    (घ) "सामान्य आवेदन पत्र" से अभिप्रेत है इस अधिनियम के अधीन यथाविहित ऐसे इलेक्ट्रोनिक प्रपत्र, जो सभी प्रकार के क्लियरेन्स हेतु व्यक्तिगत आवेदन प्रपत्रों को संयुक्त करता हो; 
    (ड.) "कंपनी" से अभिप्रेत है निगमित निकाय और इसमें फर्म अथवा व्यक्तियों का अन्य संघ शामिल है; 
    (च) "सक्षम प्राधिकार" से अभिप्रेत है सरकार का कोई विभाग या एजेंसी जिसे क्लियरेन्स देने या निर्गत करने का अधिकार और जिम्मेवारी सौंपी गयी हो, और इसमें ग्राम पंचायत, पंचायत समिति, जिला परिषद्, नगर पालिका, नगर निगम और विकास प्राधिकारों शामिल होगी; 
    (छ) "विभाग" से अभिप्रेत है सरकार का उद्योग विभाग; 
    (ज) "उद्यम" से वही अभिप्रेत है जो सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विकास अधिनियम, 2006 (2006 की संख्या 27) की धारा-2(ई) में है; 
    (झ) "प्रोत्साहन" से अभिप्रेत है नीति के अधीन, समय-समय पर, निवेशकर्ताओं को उपलब्ध की जाने वाली वित्तीय एवं गैर वित्तीय लाभ; 
    (ञ ) "नीति" से अभिप्रेत है बिहार राज्य औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति; 
    (ट) "लोक प्राधिकार" से अभिप्रेत है विभिन्न अधिनियमों के कार्यान्वयन के लिए सक्षम प्राधिकार और इस  अधिनियम की धारा-2(ई) में परिभाषित सभी सक्षम प्राधिकार शामिल होंगे; 
    (ठ)"सचिवालय" से अभिप्रेत है इस अधिनियम की धारा-5 के अधीन यथा गठित राज्य निवेश प्रोत्साहन पर्षद का सचिवालय;
    (ड) "राज्य पर्षद" से अभिप्रेत है इस अधिनियम की धारा-4 के अधीन यथा गठित राज्य निवेश प्रोत्साहन पर्षद्; 
    (ड)"राज्य सरकार" से अभिप्रेत है बिहार सरकार; 
    (ण) "उद्योग आधार" से अभिप्रेत है औद्योगिक इकाईयों का ऐसा पंजीकरण जैसा कि भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय द्वारा, समय-समय पर, अधिकथित किया गया हो। 
                                                                                                अध्याय-2
औद्योगिक इकाईयों का पंजीकरण और राज्य प्रोत्साहन पर्षद् का गठन, कार्य और शक्तियाँ विकास आयुक्त और राज्य पर्षद् का सचिवालय।। 
3. औद्योगिक इकाईयों का पंजीकरण:- (1) किसी भी औद्योगिक इकाई का पंजीकरण उनको छोड़कर स्वैच्छिक होगा, जिन्हें उद्योग (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1951 के अधीन औद्योगिक विनिर्माण मदों के लिए अनुज्ञप्ति अनिवार्य है। 
    (2) यद्यपि, ऐसी इकाई जिन्हें केन्द्र सरकार या राज्य सरकार द्वारा उपबंधित क्लियरेन्स/सहायता की आवश्यकता हो, वे इलेक्ट्रोनिक माध्यम से 'सामान्य आवेदन प्रपत्र (सीएएफ) दाखिल करेंगी। 
    (3) उत्पादन आरम्भ होने के बाद सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम इकाई भी उद्योग आधार ज्ञापन ऑनलाइन दाखिल करेंगी। 
4. राज्य निवेश प्रोत्साहन पर्षद का गठन:- (1) विकास आयुक्त की अध्यक्षता में राज्य निवेश प्रोत्साहन पर्षद का गठन किया जाएगा जिसमें उद्योग, वित्त, वाणिज्य कर, पर्यावरण एवं वन, ऊर्जा, श्रम संसाधन, नगर विकास और आवास तथा राजस्व एवं भूमि सुधार के प्रधान सचिव सदस्य के रूप में होंगे। प्रधान सचिव, उद्योग विभाग पर्षद् के सदस्य-सचिव होंगे। राज्य सरकार इस पर्षद् में पाँच सदस्य नामित करेगी जिसमें दो सदस्य उद्योग के प्रतिनिधि होंगे। 
    (2) राज्य निवेश प्रोत्साहन पर्षद् के कार्य और शक्तियाँ निम्नलिखित होंगी : 
        (क) राज्य निवेश पर्षद के सचिवालय द्वारा प्रस्तुत सभी प्रस्ताव को इसके द्वारा देत किये जायेंगे  या प्रस्ताव पर उचित निर्णय लिये जायेंगे; .
        (ख) राज्य पर्षद् माह में कम से कम एक बार बैठक करेगी; 
        (ग) यह बिहार राज्य औद्योगिक निवेश नीति पर विभाग को मार्गदर्शन और सलाह देगी;
        (घ) राज्य पर्षद्, प्रत्येक बैठक में, निवेश प्रोत्साहन के लिए राज्य पर्षद के सचिवालय के कार्य प्रगति की समीक्षा भी करेगी और निवेश प्रस्तावों पर तीव्र गति से कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए समुचित मार्गदर्शन देगी; 
        (ड.) यदि सक्षम प्राधिकार द्वारा इस अधिनियम के अधीन विहित उत्तरदायित्व का वहन नहीं किया गया है, तो राज्य निवेश प्रोत्साहन पर्षद सक्षम प्राधिकार के विरूद्ध कार्रवाई हेतु अनुशंसा करेगी;
5. राज्य निवेश प्रोत्साहन पर्षद के सचिवालय:-  राज्य निवेश प्रोत्साहन पर्षद् के लिए एक सचिवालय होगा, जो पर्षद् के अध्यक्ष एवं सदस्यों को, प्राप्त निवेश प्रस्तावों के जाँच एवं मूल्यांकन करने में, सहयोग करेगी। सचिवालय को प्राप्त निवेश-प्रस्तावों को, प्राप्ति तिथि के 30 (तीस) दिनों के भीतर राज्य पर्षद् के समक्ष रखना बाध्यकारी होगा। सचिवालय की संरचना, एवं प्रोत्साहन तथा निवेश, प्रोत्साहन एवं सरलीकरण, पारिश्रमिक एवं आनुषंगिक विषय वहीं होंगे, जो नियमावली में अधिकथित किये जायेंगे।

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