बिहार हिन्दू धार्मिक न्यास (संशोधन) अधिनियम, 2013
No: 4 Dated: May, 03 2013
[बिहार अधिनियम 4, 2013]
बिहार हिन्दू धार्मिक न्यास (संशोधन) अधिनियम, 2013
बिहार हिन्दू धार्मिक न्यास अधिनियम, 1950 (बिहार अधिनियम-1, 1951) का संशोधन करने के लिए अधिनियम।
भारत गणराज्य के चौसठवें वर्ष में बिहार राज्य विधान मंडल द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो:
1. संक्षिप्त नाम, विस्तार एवं प्रारम्भ।-(1) यह अधिनियम बिहार हिन्दू धार्मिक न्यास (संशोधन) अधिनियम, 2013 कहा जा सकेगा।
(2) इसका विस्तार सम्पूर्ण बिहार राज्य में होगा।
(3) यह तुरन्त प्रवृत्त होगा।
2. बिहार अधिनियम-1, 1951 की धारा-7 का संशोधन।-बिहार हिन्दू धार्मिक न्यास अधिनियम, 1950 (बिहार अधिनियम-1, 1951) (इसमे आगे "उक्त अधिनियम" के रूप में निर्दिष्ट) की धारा-7 विलोपित की जायेगी।
3. बिहार अधिनियम-1, 1951 की धारा-8 का संशोधना-उक्त अधिनियम में धारा-8 की उप-धारा (2), (4) एवं (5) निम्नलिखित द्वारा प्रतिस्थापित किया जायेगा, यथा;
"(2) बिहार राज्य श्वेताम्बर जैन धार्मिक न्यास पर्षद् के सदस्य, जिसमें अध्यक्ष भी शामिल होगा, राज्य सरकार द्वारा शासकीय गजट में अधिसूचना द्वारा, व्यक्तियों के निम्नलिखित कोटियों से, इस प्रकार नियुक्त किये जायेंगे कि उक्त कोटियों के प्रत्येक से कम से कम एक व्यक्ति, लेकिन दो से अधिक नहीं, नियुक्त किया जा सकेगा,
(क) बिहार राज्य विधान मंडल/ संसद सदस्य/ नगरपालिका/त्रिस्तरीय पंचायत के श्वेताम्बर जैन समाज के निर्वाचित सदस्य
(ख) श्वेताम्बर जैन समाज के बिहार सेवा (कार्यपालिका या न्यायिक सेवा या अन्य राजपत्रित सेवा) के सदस्य हैं या रह चुके है, अथवा उच्च न्यायिक सेवा या अखिल भारतीय सेवा के सदस्य है, या रह चुके है।
(ग ) इस अधिनियम के अधीन निबन्धित श्वेताम्बर जैन धार्मिक न्यास के न्यासी;
(घ) श्वेताम्बर जैन धर्म में प्रतिबद्धता के लिए प्रसिद्ध व्यक्ति जिसको प्रबन्धन-नियंत्रण में अभिरूचि हो और ख्याति प्राप्त श्वेताम्बर जैन धार्मिक न्यास के प्रबन्धन का अनुभव हो;
(ङ) श्वेताम्बर जैन धार्मिक न्यास विधि के संव्यवहारार्थ अनुभव के लिए प्रसिद्ध राज्य के
अधिवक्ता,
(च) श्वेताम्बर जैन धर्म समाज के ख्याति प्राप्त राज्य के व्यवसायी, जो धर्म में रूचि रखते हों;
और
(छ) श्वेताम्बर जैन धर्म के बिहार राज्य के लब्धप्रसिद्ध विद्वान।
(4) राज्य सरकार यथास्थिति, उप-धारा(1), (2) या (3) के अधीन नियुक्त किये गये सदस्यों में से एक को उस पर्षद का अध्यक्ष नियुक्त करेगी।
(5) प्रत्येक पर्षद के अध्यक्ष एवं सदस्यों का कार्यकाल इस अधिनियम की धारा-12 के अध्यधीन शासकीय गजट में उनके नाम के प्रकाशन की तारीख से पाँच वर्ष का होगा, और इसके अन्तर्गत वह अधिक अवधि भी आएगी जो उक्त पाँच वर्ष की समाप्ति और अगले अनुवर्ती पर्षद् की उस पहली बैठक, जिसमें गणपूर्ति मौजूद रहेगी, की तारीख के बीच व्यतीत होगी।"
4. बिहार अधिनियम 1, 1951 की धारा-8क का प्रतिस्थापन।-उक्त अधिनियम की धारा-8क निम्नलिखित द्वारा प्रतिस्थापित किया जायेगा, यथा: "8क- प्रशासक की नियुक्ति।- जब पर्षद् अधिक्रांत हो या पर्षद् के कार्यकाल समाप्त होने तथा धारा-8 के अधीन नई पर्षद् के गठन किये जाने तक, पर्षद् की सभी शक्तियों के प्रयोग के लिए सरकार एक प्रशासक नियुक्त करेगी।"
5. बिहार अधिनियम 1, 1951 की धारा-11 का विलोपन :- उक्त अधिनियम की धारा-11 में अंक
और कोष्ठ तथा शब्द "(1), (2) या " विलोपित किये जायेंगे।
6. बिहार अधिनियम 1, 1951 की धारा-80 का संशोधना- उक्त अधिनियम की धारा-80 की उप-धारा-(2) निम्नलिखित द्वारा प्रतिस्थापित किया जायेगा, यथा;
" (2) जब तक राज्य सरकार अन्यथा निदेश नहीं दे तब तक उप-धारा (1) के अधीन की गई घोषणा के फलस्वरूप पद त्याग करने वाले पर्षद्-सदस्य पुनर्नियुक्ति के लिए अनर्हक समझे जायेंगे।"
7. बिहार अधिनियम 1, 1951 की धारा-81क, का संशोधना-उक्त अधिनियम की धारा-81क के खंड "(ग)" निम्नलिखित द्वारा प्रतिस्थापित किया जायेगा; यथा
"(ग) जहाँ न्यायालय के आदेश से पर्षद् का गठन अवैध घोषित किया गया हो, प्रशासक की नियुक्ति की जाएगी, और इस अधिनियम के अधीन प्रशासक की नियुक्ति, पर्षद् का पुनर्गठन के लिए आदेश की तिथि से अधिनियम की धारा-8 के अधीन 48 महीनों की अवधि के भीतर की जायेगी।" ।
8. बिहार अधिनियम 1, 1951 की धारा-82 का संशोधन।- उक्त अधिनियम की धारा-82 की उप-धारा (2) के बाद नई उप-धारा (3) निम्नलिखित रूप में जोड़ी जायेगी; यथा
" (3) इस अधिनियम के अध्यधीन बनायी गई नियमावली एवं उपविधियाँ बनाये जाने के पश्चात् यथाशक्य शीघ्र विधानमंडल के समक्ष जब यह चौदह दिनों की कुल अवधि के लिए सत्र में हो, रखा जायेगा। यह अवधि एक सत्र अथवा दो या दो से अधिक अनुवर्ती सत्रो में हो सकेगी।"
बिहार-राज्यपाल के आदेश से,
विनोद कुमार सिन्हा,
सरकार के सचिव।