No: 7/1852 Dated: Feb, 16 2017
1. संक्षिप्त नाम, विस्तार एवं प्रारंभ। (1) यह नियमावली "बिहार उच्च न्याय सेवा (संशोधन) नियमावली, 2017" कहीं जायेगी।
(2) इसका विस्तार सम्पूर्ण बिहार राज्य में होगा।
(3) यह तुरंत के प्रभाव से प्रवृत्त होगी।
2. बिहार उच्च न्याय सेवा नियमावली, 1951 के नियम-5 का खंड (ग) की आरंभिक पंक्ति को निम्न प्रकार पुनस्थापित किया जायेगाः
" भर्ती जहाँ तक संभव हो निम्न रीति से वार्षिक आधार पर की जायेगी।"
3. बिहार उच्च न्याय सेवा नियमावली, 1951 के नियम-5 के खंड (ग) में (iv) निम्न प्रकार जोड़ा जायेगा:"नियम-5 के खंड (ग) (ii) के अध्यधीन किसी भर्ती वर्ष में, सीधी भर्ती हेतु निर्धारित पद किसी कारण से नहीं भरे जाते हैं तो उच्च न्यायालय उन रिक्तियों को योग्यता-सह- वरीयता के सिद्धांत के आधार पर अर्हता प्राप्त सिविल जज (वरीय कोटिं) पदाधिकारियों से भर सकता है, किन्तु ऐसी प्रोन्नति उस अवधि तक के लिए तदर्थ रूप से होगी जब तक कि नियमित प्रोन्नति हेतु उनकी कालावधि परिपक्व न हो जाय, जब वे नियम-5 (ख) के अन्तर्गत प्रोन्नति हेतु विचारणीय होंगे।
बशर्ते इस प्रकार भरी गयी रिक्तियों अगले भर्ती वर्ष में सीधी नियुक्ति के लिए निर्धारित रिक्तियों में वापस शामिल कर दी जायेंगी।"
4. बिहार उच्च न्याय सेवा नियमावली, 1951 के नियम-16 के खंड (ङ) में स्पष्टीकरण (2) निम्न प्रकार जोडा जायेगा:
"संवर्गीय रोस्टर उच्च न्यायालय द्वारा चयन/नियुक्ति की प्रक्रिया आरंभ किये जाने की तिथि से ब्रिटिश कैलेंडर वर्ष के अनुसार वार्षिक आधार पर प्रोन्नति/नियुक्ति के तीन विभिन्न श्रोतों के अनुसार संचालित होगा।
5. बिहार उच्च न्याय सेवा नियमावली. 1951 के परिशिष्ट-ग का उप नियम-1 निम्न रूप में प्रतिस्थापित किया जायेगा:
"विज्ञापन प्रकाशन के वर्ष की पहली जनवरी को उम्मीदवार की आयु निश्चित रूप से 35 (पैतीस) वर्ष होगी एवं 50 (पचास) वर्ष से कम होगी।
6.बिहार उच्च न्याय सेवा नियमावली, 1951 के परिशिष्ट-ग का उप नियम-3 निम्न रूप में प्रतिस्थापित किया जायेगा:
"विज्ञापन में निर्दिष्ट आवेदन प्राप्ति की अंतिम तिथि को जिस उम्मीदवार को विधि व्यवसाय में 7 (सात) वर्षों का अनुभव नहीं होगा तथा विगत 3 (तीन) वर्षों में कम-से-कम 24 (चौबीस) मामलों में प्रतिवर्ष उपस्थिति की घोषणा नहीं की जायेगी, वे ऐसी नियुक्ति के पात्र नहीं समझें जायेंगे।
7. बिहार उच्च न्याय सेवा नियमावली, 1951 के परिशिष्ट-ग का उप नियम-6 निम्न रूप में प्रतिस्थापित किया जायेगा:
"स्क्रीनिंग टेस्ट का पूर्णांक 300 अंकों का होगा। विज्ञापित रिक्तियों के दस गुणा की संख्या में उम्मीदवारों को लिखित परीक्षा हेतु बुलाया जायेगा।"
8.बिहार उच्च न्याय सेवा नियमावली, 1951 के परिशिष्ट-ग का उप नियम-8 निम्न रूप में प्रतिस्थापित किया जायेगाः
"स्क्रीनिंग टेस्ट हेतु प्रश्न विधि, अंग्रेजी भाषा, सामान्य एवं कम्प्यूटर ज्ञान से संबंधित विषय रहेंगे। उच्च न्यायालय द्वारा लिखित परीक्षा (सिद्धांत पत्र) उत्तीर्णता हेतु न्यूनतम अर्हतांक का निर्धारण किया जा सकेगा। इसके अतिरिक्त स्क्रीनिंग टेस्ट में प्राप्तांक की सार्थकता नहीं होगी।
9. बिहार उच्च न्याय सेवा नियमावली, 1951 के परिशिष्ट-ग का उप नियम-9 निम्न रूप में संशोधित किया जायेगाः
"लिखित परीक्षा के लिए पूर्णांक 250 अंकों का होगा तथा साक्षात्कार का पूर्णांक 50 अंकों का होगा', पुर्नस्थापित कर "उच्च न्यायालय समय-समय पर उक्त परीक्षा के लिए आगे दिये गये विषयों के पत्रों और उनके अंक का निर्धारण कर सकेगा।
विषय संख्या-17, जो अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जन जाति (अत्याचार निवारण) एक्ट, 1989 से संबंधित है, के पश्चात् क्रम संख्या-18 पर "भारतीय दंड संहिता, 1860" को जोड़ा जायेगा।
10.बिहार उच्च न्याय सेवा नियमावली, 1951 के परिशिष्ट-ग के उप नियम-10, 11 एवं 12 निम्न रूप में प्रतिस्थापित किया जायेगा:
"10. लिखित परीक्षा एवं साक्षात्कार हेतु अंकों का अनुपात 80% एवं 20% होगा।
11. उसी अभ्यर्थी को साक्षात्कार हेतु आमंत्रित किया जायेगा, जिसने प्रत्येक विषय की सैद्धातिक परीक्षा में कम-से-कम 45% अंक प्राप्त किये हों।
12. वही अभ्यर्थी नियुक्ति का पात्र होगा, जिसने लिखित परीक्षा के प्रत्येक विषय में न्यूनतम 45% एवं लिखित परीक्षा (सैद्धांतिक पत्र) एवं साक्षात्कार में कुल 50% अंक प्राप्त किये हों।
बिहार के राज्यपाल के आदेश से
(गुफरान अहमद)
सरकार के उप सचिव ।