No: 18/7525 Dated: Jun, 03 2019
1. संक्षिप्त नाम, विस्तार एवं आरंम :- (1) यह नियमावली "बिहार सरकारी सेवक शिकायत निवारण नियमावली, 2018" कही जा सकेगी।
(2) इसका विस्तार संपूर्ण बिहार राज्य में होगा ।
(3) यह निर्गमन की तिथि से प्रवृत होगी ।
2 परिभाषाएँ :- इस नियमावली में जब तक विषय या संदर्भ में अन्यथा अपेक्षित न हो -
(क) "सेवा शिकायत निवारण पदाधिकारी" से अभिप्रेत है प्रत्येक विभाग एवं प्रत्येक जिला में पदनामित किए गए पदाधिकारी, जो सेवा मामलों एवं सेवांत लाभ से संबंधित प्राप्त शिकायतों की नियत समय-सीमा में सुनवाई कर निर्णय पारित करेंगे तथा लिए गए निर्णय की सूचना शिकायतकर्ता को देंगे। जिला समाहरणालयों में स्थापना प्रशाखा के वरीय प्रभारी पदाधिकारी जो अपर समाहर्ता से अन्यून स्तर के पदाधिकारी होंगे, सेवा शिकायत निवारण पदाधिकारी के रूप में कार्य करेंगे। विभागों में उप सचिव से अन्यून स्तर के पदाधिकारी सेवा शिकायत निवारण पदाधिकारी के रूप में पदनामित होंगे। सभी जिला पदाधिकारी एवं राज्य मुख्यालय के विभाग अपने जिला/विभाग (यथास्थिति) के सेवा शिकायत निवारण पदाधिकारी को पदनामित करते हुए आदेश निर्गत करेंगे जिसे वेबसाईट पर भी प्रदर्शित किया जाएगा ;
(ख) "उत्तरदायी पदाधिकारी" से अभिप्रेत वह पदाधिकारी है जिसके कार्यालय से संबंधित शिकायत होगी एवं जिसका निबटारा उनके द्वारा किया जाना अपेक्षित होगा। शिकायतों के संदर्भ में, प्रत्येक कार्यालय के कार्यालय प्रधान उत्तरदायी पदाधिकारी होंगे । विभाग, सुविधानुसार छोटे-छोटे कार्यालयों को समूहबद्ध कर, उनके जिला/अनुमंडल स्तर के नियंत्री कार्यालय को उत्तरदायी कार्यालय. तद्नुरूप उसके कार्यालय प्रधान को उत्तरदायी पदाधिकारी घोषित कर सकेंगे।
(ग) "शिकायत" से अभिप्रेत है राज्य सरकार के सेवारत एवं सेवानिवृत कर्मियों की सेवा तथा सेवांत लाभ से संबंधित मामले, यथा -
(1) अपनी नियुक्ति से संबंधित मामले
(2) सेवा -सम्पुष्टि से संबंधित मामले
(3) वेतन भुगतान एवं वेतन वृद्धि से संबंधित मामले
(4) प्रोन्नति, ए.सी.पी., एम.ए.सी.पी. से संबंधित मामले
(5) वरीयता निर्धारण से संबंधित मामले
(6) आकस्मिक एटी को छोड़कर शेष छटियों की स्वीकृति से संबंधित मामले
(7) छुट्टी-वेतन से संबंधित मामले
(8) देय भत्तों की स्वीकृति एवं भुगतान से संबंधित मामले
(9) चिकित्सा प्रतिपूर्ति से संबंधित मामले (10) सेवांत लाभ, जैसे-पेंशन, उपादान, ग्रुप बीमा, अव्यवहृत उपार्जित छुट्टी के बदले नगद भुगतान तथा सामान्य भविष्य निधि भुगतान से संबंधित मामले : परन्तु उपर्युक्त से संबंधित किसी मामले के किसी न्यायालय में विचाराधीन रहने पर, उसे इस नियमावली के अधीन शिकायत के रूप में नहीं माना जाएगा:
परन्तु और कि अनुशासनिक एवं विभागीय कार्रवाई तथा स्थानांतरण/पदस्थापन/प्रतिनियुक्ति से संबंधित मामले इसके अधीन शिकायतों में सम्मिलित नहीं होंगे । सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के अधीन कोई मामला भी इस नियमावली के अधीन शिकायत के रूप में नहीं माना जाएगा।
(घ) "शिकायतकर्ता" से अभिप्रेत है बिहार सरकार के सभी वर्ग के सेवारत एवं सेवानिवृत कर्मचारी अथवा पदाधिकारी तथा सरकारी सेवक की मृत्यु की दशा में उनका आश्रित ;
(ङ)"नियत समय-सीमा" से अभिप्रेत है किसी शिकायत पर सुनवाई का अवसर प्रदान करते हुए उस पर निर्णय लेने तथा शिकायत पर निर्णय के बारे में शिकायतकर्ता को सूचित करने की अनुज्ञात समय-सीमा जो अधिकतम 60 कार्य दिवसों की कालावधि होगी। और शिकायत आवेदन के अंतरण में लगे समय की गणना नियत समय सीमा में नहीं की जाएगी ;
(च) "निर्णय" से अभिप्रेत है इस नियमावली के अधीन सेवा शिकायत निवारण पदाधिकारी अथवा अपीलीय पदाधिकारी द्वारा किसी शिकायत या अपील पर पारित किया गया निर्णय ;
(छ) "अपीलीय प्राधिकार" से अभिप्रेत है जिला पदाधिकारी अथवा विभागीय प्रधान सचिव/सचिव
3. शिकायत दाखिल करने की प्रक्रिया :- सेवा मामलों एवं सेवांत लाभ से संबंधित शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया निम्नवत होगी :
(क) बिहार सरकार में सेवारत अथवा सेवानिवृत हुआ किसी भी वर्ग का कर्मी अपने सेवा मामलों एवं/अथवा सेवांत लाभों के भुगतान के संबंध में कोई शिकायत ऑनलाईन माध्यम से दायर कर सकेगा। सरकारी सेवक की मृत्यु की दशा में उनके आश्रित द्वारा शिकायत दर्ज की जा सकेगी। इसमें आवेदनकर्ता को उस कार्यालय/पदाधिकारी का विवरण उल्लिखित करना होगा जिससे से संबंधित उनकी शिकायत हो। ऑनलाईन आवेदन में अन्य सुसंगत विवरण देना आवश्यक होगा।
(ख) एक आवेदन पत्र में किसी एक विषय पर ही शिकायत दायर की जा सकेगी। चंकि शिकायत दर्ज करने हेतु कोई फीस अनुमान्य नहीं है, अतएव यदि कोई शिकायतकर्ता एक से अधिक विषयों के संबंध में अनुतोष चाहता हो तो उसे इसके लिए पृथक रूप से आवेदन देना होगा। यदि इसके बावजूद एक ही आवेदन में एक से अधिक विषय पर अनुतोष मांगा जा रहा हो तो वैसी स्थिति में शिकायत आवेदन में उल्लिखित प्रथम विषय को ही उक्त मामले में शिकायत के रूप में मान्यता प्रदान करते हुए अग्रेतर कार्रवाई की जाएगी।
4. पावती :-(1) शिकायत दायर करने पर आवेदनकर्ता को ऑनलाईन पावती प्राप्त होंगी, जिस पर सिस्टम जेनरेटेड अनन्य (Unique) पंजीयन संख्या अंकित होगी। भविष्य में किसी भी संदर्भ के लिए इस अनन्य (Unique) पंजीयन संख्या का उपयोग किया जा सकेगा।
(2) अनन्य (Unique) पंजीयन संख्या कुल 16 (सोलह) अंकों की होगी जो निम्नलिखित रूप में होगी :
(क) प्रथम-03 अंक (xxx) उस सेवा शिकायत निवारण पदाधिकारी के कार्यालय का होगा जिस कार्यालय में शिकायत दर्ज की जा रही है। 38 जिलों एवं 44 विभागों के आधार पर कुल 82 सेवा शिकायत निवारण पदाधिकारी के कार्यालय के लिए कोड विनिश्चित किए जाएगें। भविष्य में इसकी संख्या बढ़ने पर यह तदनुसार परिवर्तनीय होगा
(ख) अगला -2 अंक (xx) उस माध्यम का होगा जिसके माध्यम से शिकायत दर्ज करायी जा रही हो। शिकायतकर्ताओं को केवल ऑनलाईन रीति से शिकायत दर्ज करने का विकल्प होगा परन्तु यदि विभागों/जिला पदाधिकारियों को सेवा मामलों अथवा सेवांत लाभ से संबंधित कोई शिकायत प्राप्त होती है तो उसे आवश्यकतानुसार इस पद्धति में शामिल करने हेतु सेवा शिकायत निवारण पदाधिकारी को भेजा जा सकेगा जहां प्रतिनियुक्त कम्प्यूटर ऑपरेटर के द्वारा इसकी प्रविष्टि पृथक कोड में की जाएगी।
(ग) अगला-6 अंक (3coooxx) शिकायत प्राप्ति की तिथि के लिए आवंटित होंगे। अगला-5 अंक (xxxxx) उस शिकायत की क्रम संख्या होगी जो कार्यालय में दायर किये गए हों। यह वृद्धिमान क्रम में होगा।
(घ) पावती में शिकायत पर सुनवाई की विनिश्चित प्रथम तिथि एवं सुनवाई का स्थान उल्लिखित होगा जो सामान्यतः वही कार्यालय होगा जिस सेवा शिकायत निवारण पदाधिकारी के कार्यालय में/के लिए शिकायत दायर की गयी हो । इसमें सुनवाई के स्थान में तब परिवर्तन संभव होगा जब दर्ज की गयी शिकायत किसी अन्य सेवा शिकायत निवारण पदाधिकारी की अधिकारिता के अधीन होने के कारण उसे अंतरित कर दी जाए।