No: 14 Dated: Dec, 10 2018
[बिहार अधिनियम 14, 2018]
बिहार माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 (बिहार अधिनियम-12, 2017) का संशोधन करने के लिए अधिनियम ।
भारत गणराज्य के उनहत्तरवें वर्ष में बिहार राज्य विधानमंडल द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो:
1. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ ।-(1) यह अधिनियम "बिहार माल और सेवा कर (संशोधन) अधिनियम, 2018" कहा जा सकेगा।
(2) अन्यथा उपबंधित के सिवाय, इस अधिनियम के उपबंध उस तारीख को प्रवृत्त होंगे, जो राज्य सरकार, राजपत्र में, अधिसूचना द्वारा, नियत करे :
परंतु इस अधिनियम के विभिन्न उपबंधों के लिए विभिन्न तारीखें नियत की जा सकेंगी और ऐसे उपबंध में इस अधिनियम के प्रारंभ के प्रति किसी निर्देश का अर्थान्वयन उस उपबंध के प्रवृत्त होने के प्रतिनिर्देश के रूप में किया जाएगा।
2. बिहार माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 (जिसे इसके पश्चात् “मूल अधिनियम' कहा गया है) की धारा 2 में,
(1) खंड (4) में, "अपील प्राधिकारी और अपील अधिकरण" शब्दों के स्थान पर "अपील प्राधिकारी, अपील अधिकरण और धारा 171 की उपधारा (2) में निर्दिष्ट प्राधिकारी" शब्द, अंक और कोष्ठक रखे जाएंगे;
(2) खंड (16) में, "केन्द्रीय उत्पाद शुल्क और सीमाशुल्क बोर्ड शब्दों के स्थान पर, "केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमाशुल्क बोर्ड" शब्द रखे जाएंगे ;
(3) खंड (17) में, उपखंड (ज) के स्थान पर निम्नलिखित उपखंड रखा जाएगा, यथा:
"(ज) किसी घुड़दौड़ क्लब की गतिविधियाँ, जिसमें योगक या अनुज्ञप्ति से बुकमेकर के रूप में ऐसे क्लब की गतिविधियाँ शामिल है, अथवा ऐसे क्लब में अनुज्ञप्तिधारी बुकमेकर की गतिविधियाँ और";
(4) खंड (18) का लोप किया जाएगा ;
(5) खंड (35) में, "खंड (ग)” शब्द, कोष्ठक और अक्षर के स्थान पर "खंड (ख)" शब्द कोष्ठक और अक्षर रखा जाएगा ;
(6) खंड (69) में, उपखंड (च) में "अनुच्छेद 371" शब्द और अंक के पश्चात् "और अनुच्छेद 371ञ" शब्द, अंक और अक्षर रखे जाएंगे;
(7) खंड (102) में, निम्नलिखित स्पष्टीकरण अंतःस्थापित किया जाएगा, यथा:
स्पष्टीकरण-शंकाओं के निवारण के लिए यह स्पष्ट किया जाता है कि "सेवा" पद में प्रतिभूतियों में संव्यवहारों को सुकर बनाना या प्रबंध करना सम्मिलित है |
3. मूल अधिनियम की धारा 7 में संशोधन:- मूल अधिनियम की धारा 7 में, 1 जुलाई, 2017 से, (1) उपधारा (1) में,
(क) खंड (ख) में, "चाहे वह कारबार के अनुक्रम में या उसे अग्रसर करने के लिए हो या नहीं;" शब्दों के पश्चात्, "और" शब्द अंतःस्थापित किया जाएगा और सदैव अंतःस्थापित किया गया समझा जाएगा ;
(ख) खंड (ग) में, "क्रियाकलाप;" शब्द के पश्चात्, "और" शब्द का लोप किया जाएगा और सदैव लोप किया गया समझा जाएगा ;
(ग) खंड (घ) का लोप किया जाएगा और सदैव लोप किया गया समझा जाएगा ;
(2) उपधारा (1) के पश्चात् निम्नलिखित उपधारा अंतःस्थापित की जाएगी और सदैव अंतःस्थापित की गई समझी जाएगी, अर्थात्:
"(1क) जहां कतिपय कार्यकलाप या संव्यवहार उपधारा (1) के उपबंधों के अनुसार कोई पूर्ति हैं, उन्हें अनुसूची 2 में यथानिर्दिष्ट माल की पूर्ति या सेवा की पूर्ति माना जाएगा।";
(3) उपधारा (3) में, "उपधारा (1) और उपधारा (2)" शब्दों, कोष्ठकों और अंकों के स्थान पर, “उपधारा (1), उपधारा (1क) और उपधारा (2)" शब्द, कोष्ठक, अंक और अक्षर रखे जाएंगे।
4. मूल अधिनियम की धारा 9 में संशोधन:- मूल अधिनियम की धारा 9 की उपधारा (4) के स्थान पर निम्नलिखित उपधारा रखी जाएगी, अर्थात् :
"(4) सरकार परिषद् की सिफारिशों पर, अधिसूचना द्वारा रजिस्ट्रीकृत व्यक्तियों के एक वर्ग को विनिर्दिष्ट कर सकेगी, जो किसी अरजिस्ट्रीकृत पूर्तिकार से प्राप्त माल या सेवाओं या दोनों के विनिर्दिष्ट प्रवर्गों की पूर्ति के संबंध में ऐसे माल या सेवा या दोनों के प्राप्तिकर्ता के रूप में प्रतिलोम प्रभार के आधार पर कर का संदाय करेंगे तथा इस अधिनियम के सभी उपबंध ऐसे प्राप्तिकर्ता को लागू होंगे मानो वह माल या सेवा या दोनों की ऐसी पूर्ति के संबंध में कर का संदाय करने के लिए दायी व्यक्ति है।"।
5. मूल अधिनियम की धारा 10 में संशोधन:- मूल अधिनियम की धारा 10 में, (1) उपधारा (1) में,
(क) “उसके द्वारा संदेय कर के स्थान पर, ऐसी दर पर," शब्दों के स्थान पर, "धारा 9 की उपधारा (1) के अधीन उसके द्वारा संदेय कर के बदले ऐसी दर पर" शब्द, अंक और कोष्ठक रखे जाएंगे :
(ख) परंतुक में, “एक करोड़ रूपए" शब्दों के स्थान पर “एक करोड़ पचास लाख रूपए" शब्द रखे जाएंगे ;
(ग) परंतुक के पश्चात् निम्नलिखित परंतुक अंतःस्थापित किया जाएगा, अर्थात्:--
"परंतु यह और कि कोई व्यक्ति, जो खंड (क) या खंड (ख) या खंड (ग) के अधीन कर का संदाय करने का विकल्प लेता है, किसी राज्य में पूर्ववर्ती वित्त वर्ष में कारबार के दस प्रतिशत से अनधिक मूल्य की सेवा (अनुसूची 2 के पैरा 6 के खंड (ख) में निर्दिष्ट से भिन्न) या पांच लाख रूपए, जो भी अधिक हो, की पूर्ति कर सकेगा।";
(2) उपधारा (2) के खंड (क) के स्थान पर निम्नलिखित खंड रखा जाएगा, अर्थात्: "(क) उपधारा (1) में यथा उपबंधित के सिवाय, वह सेवा की पूर्ति में नहीं लगा हुआ है;"।
6. मूल अधिनियम की धारा 12 में संशोधन:- मूल अधिनियम की धारा 12 की उपधारा (2) के खंड (क) में, "की उपधारा (1)" शब्द कोष्ठक और अंक का लोप किया जाएगा।
7. मूल अधिनियम की धारा 13 में संशोधन:- मूल अधिनियम की धारा 13 की उपधारा (2) में, दोनों स्थानों पर आने वाले "की उपधारा (2)" के शब्द, कोष्ठक और अंक का लोप किया जाएगा।
8. मूल अधिनियम की धारा 16 में संशोधन:- मूल अधिनियम की धारा 16 की उपधारा (2) में,
(1) खंड (ख) में, स्पष्टीकरण के स्थान पर निम्नलिखित स्पष्टीकरण रखा जाएगा, अर्थात्:
"स्पष्टीकरण-इस खंड के प्रयोजनों के लिए यह समझा जाएगा कि रजिस्ट्रीकृत व्यक्ति ने, यथास्थिति, माल या सेवा को प्राप्त किया है
(i) जहां माल का परिदान किसी प्रदायकर्ता द्वारा किसी प्राप्तिकर्ता को या किसी अन्य व्यक्ति को,चाहे वह अभिकर्ता के रूप में या अन्यथा कार्य कर रहा हो, माल के संचलन के पूर्व या दौरान, ऐसे रजिस्ट्रीकृत व्यक्ति के निदेश पर माल के मालिकाना दस्तावेजों के अंतरण के माध्यम से या अन्यथा किया गया है,
(ii) जहां सेवा का उपबंध प्रदायकर्ता द्वारा किसी व्यक्ति को ऐसे रजिस्ट्रीकृत व्यक्ति के निदेश पर और उसके मद्दे किया जाता है।";
(2) खंड (ग) में, "धारा 41" शब्द और अंक के स्थान पर, "धारा 41 या धारा 43क' शब्द, अंक और अक्षर रखे जाएंगे।