बिहार राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (संशोधन) अधिनियम, 2016
No: 9 Dated: Aug, 11 2016
[बिहार अधिनियम 9, 2016]
बिहार राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (संशोधन) अधिनियम, 2016
प्रस्तावना:- राजकोषीय समेकन के लिये 14वें वित्त आयोग द्वारा यथा अनुशंसित पुनरीक्षित रूपरेखा को लागू करने एवं राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन प्रक्रिया को और पारदर्शी तथा व्यापक बनाने के लिए राजकोषीय लक्ष्यों में संशोधन का उपबंध करने हेतु बिहार राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम, 2006 का संशोधन करने हेतु अधिनियम |
भारत गणराज्य के सड़सठवें वर्ष में बिहार राज्य विधान मंडल द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो :
1. सक्षिप्त नाम, विस्तार एव प्रारम्भ:- (1) यह अधिनियम बिहार "राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (संशोधन) अधिनियम, 2016" कहा जा सकेगा ।।
(2) इसका विस्तार संपूर्ण बिहार राज्य में होगा ।
(3) यह उस तिथि से प्रवृत्त होगा जो राज्य सरकार, अधिसूचना द्वारा, राजपत्र में इस निमित नियत करें ।
2. बिहार अधिनियम 5, 2006 की धारा-2 में संशोधन- बिहार राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम, 2006 (बिहार अधिनियम 5, 2006) की धारा-2 की उपधारा (ड) के बाद निम्नलिखित नई उपधारा (ढ) जोड़ी जायेगी :
"(ढ) "ब्याज भुगतान" से अभिप्रेत है राज्य सरकार का आंतरिक ऋण, केन्द्र सरकार से राज्य सरकार द्वारा लिये गये कर्ज एवं अग्रिम एवं लोक लेखा में राज्य भविष्य निधि एवं अन्य दायित्व पर मूलधन की वापसी से भिन्न भुगतेय राशि।"
3. बिहार अधिनियम 5, 2006 की धारा-9 में संशोधन:- बिहार राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम, 2006 (बिहार अधिनियम 5, 2006) की धारा-9 की उपधारा (2) का खण्ड (ख) निम्नलिखित द्वारा प्रतिस्थापित किया जायेगा
"(ख) (1) वित्तीय वर्ष 2016-17 से 2019-20 की अवधि में राज्य के लिए राजकोषीय घाटा लक्ष्यों और वार्षिक उधार सीमाओं का प्रतिज्ञापन निम्नवत् किया जाता है:
(I) राज्य का राजकोषीय घाटा जी०एस०डी०पी० (सकल राज्य घरेलू उत्पाद) के 3 प्रतिशत की वार्षिक सीमा तक स्थिरता प्रदान करने वाला होगा। राज्य इससे अधिक की सीमा के लिए किसी भी वर्ष में, जिसके लिए उधार सीमाएं नियत की जानी है, यदि उसका ऋण- जी०एस०डी०पी० अनुपात उसके पिछले वर्ष में 25 प्रतिशत से कम या उसके बराबर है, 0.25 प्रतिशत की लोचनीयता व उदारता के लिए पात्र होगा।
(ii) राज्य उक्त वर्ष में जिसके लिए उधार सीमाएं नियत की जानी है, यदि उसका ब्याज भुगतान उसके पिछले वर्ष में राजस्व प्राप्तियों का 10 प्रतिशत से कम या उसके बराबर है, जी०एस०डी०पी० का 0.25 प्रतिशत की अतिरिक्त उधार सीमा के लिए भी पात्र होगा।
(III) लोचनीयता संबंधी प्रावधानों के अधीन राज्य उपर्युक्त इंगित दो विकल्प प्राप्त कर सकते हैं या तो उपर्युक्त में से कोई एक मानदण्ड पूरा करने पर कोई भी उपर्युक्त विकल्प या दोनों मानदण्डों को पूरा करने पर दोनों विकल्प एक साथ। इस प्रकार किसी दिए गए वर्ष में राज्य को अधिकतम राजकोषीय घाटा जी०एस०डी०पी० के 3.5 प्रतिशत सीमा तक प्राप्त हो सकता है।
(IV) एक विकल्प या दोनों विकल्पों के अधीन अतिरिक्त सीमा प्राप्त करने के लिए राज्य के पास लोचनीयता तभी उपलब्ध होगी यदि उक्त वर्ष में, जिसमें उधार सीमाएं नियत की जानी है और ठीक पूर्ववर्ती वर्ष में कोई राजस्व घाटा न हो।
4. वित्तीय वर्ष 2016-17 से 2018-19 के बीच वित्तीय वर्ष के दौरान में किसी विशिष्ट वर्ष में सकल राज्य घरेलू उत्पाद के 3 प्रतिशत के सामान्य राजकोषीय घाटे के वित्त पोषण के लिए अपनी स्वीकृत उधार सीमा का पूर्ण रूप से उपयोग करने में सक्षम नहीं होता है तो उसे केवल अगले वर्ष में इस अनुपयोजित उधार राशि (जिसका रूपये में परिकलन किया गया है) को 14वें वित्त आयोग की पंचाट अवधि 2017-18 से 2019-20 के भीतर प्राप्त करने का विकल्प होगा। अनुपयोजित उधार राशि सहित यह राशि जी०एस०डी०पी० के 3.5 प्रतिशत तक सीमित होगी।"
बिहार राज्यपाल के आदेश से,
मनोज कुमार,
सरकार के संयुक्त सचिव।