No: 5 Dated: Apr, 05 2006

बिहार राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम, 2006 
अधिनियम प्रस्तावना:- भारत गणराज्य के सतावनवें वर्ष में बिहार राज्य विधान मंडल द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो:. 
1. संक्षिप्त नाम विस्तार और प्रारंभ ।- (1) यह अधिनियम बिहार राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम, 2006 कहा जा सकेगा ।
    (2) इसका विस्तार संपूर्ण बिहार राज्य में होगा । 
    (3) यह उस तारीख से प्रवृत्त होगा जो राज्य सरकार अधिसूचना द्वारा राजपत्र में इस निमित नियत करे । 
2. परिभाषायें ।- जब तक कि संदर्भ में अन्यथा, अपेक्षित न हो, इस विधेयक में,
    (क) "बजट" से अभिप्रेत है संविधान के अनुच्छेद 202 के अधीन राज्य विधान मंडल के दोनों सदन के समक्ष रखे गये वार्षिक वित्तीय विवरणी; 
    (ख) "चालू वर्ष" से अभिप्रेत है आगामी वर्ष के पूर्ववर्ती वित्तीय वर्ष।
    (ग) "आगामी वर्ष" से अभिप्रेत है वह वित्तीय वर्ष जिसके लिए बजट प्रस्तुत किया जा रहा हो
    (घ) "वित्तीय वर्ष से अभिप्रेत है 1 अप्रैल से शुरू होकर अगले 31 मार्च को समाप्त होने वाला वर्ष 
    (ड.) "स.रा.घ.उ.' से अभिप्रेत चालू बाजार मूल्य पर. सकल राज्य घरेलु उत्पाद; 
    (च) "राजकोषीय घाटा' से अभिप्रेत है किसी वित्तीय वर्ष के दौरान, राज्य की समेकित निधि में ऋण प्राप्तियों को छोड़कर, कुल प्राप्तियों से अधिक इस निधि से कुल. संवितरण (ऋण की अदायगी को छोड़कर); 
    (छ) "राजकोषीय सूचकों" से अभिप्रेत है ऐसे सूचक जो राज्य सरकार की राजकोषीय स्थिति के मूल्यांकन के लिए विहित किये गये हों;
    (ज) “राजकोषीय लक्ष्य" से अभिप्रत है राजकोषीय सूचकों के आंकिक सीमाएं तथा कुल राजस्व प्राप्तियों (कु.रा.प्रा.) अथदा स.रा.घ.उ. के अनुपात; 
    (झ) "विहित' से अभिप्रेत है इस अधिनियम के अधीन बनाये गये नियमों द्वारा विहि ; 
    (ण) 'पूर्ववर्ती वर्सषअभिप्रेत है चालू वर्ष का पूर्ववर्ती वर्ष; 
    (ट) "राजस्व बारः" से अभिप्रेत है राजस्व व्यय और राजस्व प्राप्तियों (कु.रा.प्रा.) का अंतर ।
स्पष्टीकरणा-कुल राजस्व प्राप्तियों (कु.रा.प्रा.) में शामिल हैं राज्य की अपनी राजस्व प्रापि.याँ (कर और गैर-कर दोनों ) तथा केन्द्र से बालू अंतरण (अनुदान और केन्द्रीय करों में राज्य का हिस्सा सहित) 
इसके अतिरिक्त इस खंड के प्रयोजनार्थ लोक उपक्रम तथा विशेष प्रयोजन के लिये प्रतिष्ठानों और अन्य समतुल्य लिखत द्वारा लिये गये उधार, जिनकी अदायगी का दायित्व सरकार पर हो, के व्याज के भुगतान को राजस्व व्यय के रूप में समझा जायेगा । .. ......
    (ठ) “कुल दायित्व" से तात्पर्य राज्य समेकित निधि एवं राज्य लोक लेखा के अधीन दायित्व से है तथा इसमें लोक उपक्रमों, विशेष प्रयोजनार्थ प्रतिष्ठानों अन्य समतुल्यः लिखत द्वारा लिये गये उधार  प्रतिभूति सहित, जिनके मूलंधन और/अथवा ब्याज की अदायगी राज्य बजट से की जानी है, शामिल हैं । 
3. राजकोषीय प्रबंधन के उद्देश्य:- राज्य सरकार-
    क) वित्तीय वर्ष 2008-09 तक राजस्व घाटा को समाप्त करने के लिए समुचित उपाय करेगी तथा इसके बाद पर्याप्त राजस्व अधिशेष बनाएगी और राजकोषीय घाटा को वित्तीय वर्ष 2008-09 से सकल घरेलू उत्पाद के तीन प्रतिशत स्तर पर बनाये रखेगी तथा ऐसे अधिशेष का उपयोग आस्तियों से अधिक दायित्वों के निर्वहन अथवा पूँजीगत व्यय के लिये करेगी,
    ख) लागत वसूली एवं सभ्यः पर सम्यक् रूप से ध्यान देते हुए गैर-कर राजस्व बढ़ाने की नीति अपनायेगी, और
    ग) पूँजीगत व्यय को प्राथमिकता देने के लिए मानक निर्धारित करेगी तथा ऐसी व्यय नीति का अनुसरण करेगी जिससे आर्थिक उन्नति, गरीबी में कमी  लाने एवं मानव कल्याण में सुधार को प्रोत्साहन प्राप्त हो सके । 
4. राजकोषीय-प्रबंधन के सिद्धांत ।- राज्य सरकार निम्नलिखित राजकोषीय प्रबंधन सिद्धांतों बार मार्गदर्शित होगी -
    (क) पारदर्शिता - राजकोषीय नीति के लक्ष्यों को निर्धारित करने, लोक नीति के क्रियान्वयन व सूचना के प्रकाशन में पारदर्शिता हो ताकि जनता राजकोषीय नीति के संचालन एवं लोक वित्तीय एच की सीक्षा कर सके;
    (ख) स्थायित्व एवं भविष्य सूचकला - राजकोषीय नीति निर्धारण प्रक्रिया तथा राजकोषीय नीति जिस प्रकार से अर्थव्यवस्था पर प्रभाव डालेगा वह स्थायी हो तथा ऐसी हो जिससे भविष्य में इसका रूख जग! जा सके।
    (ग) उत्तरदायित्व एवं समग्रता - बजट सूत्रण में समग्रता सहित लोक वित्त के प्रबंधन में उत्तरदायित्व :
    (घ) निष्पक्षता - यह सुनिश्चित करने के लिए कि राज्य सरकार के वर्तमान नीति निर्णयों में भावी नीतियों पर उनके वित्तीय भार का सम्यक् ध्यान रखा गया है, निर्णयों में निष्पक्षता हो; ..
    (ड) दक्षता . राजकोषीय नीति के रूपांकन एवं क्रियान्वयन तथा लोक वित्त की आस्तियों एवं पारिनों के प्रबंधन में दक्षता हो। 
5. राजकोषीय नीति विषयक विवरण का विधान-मंडल के समक्ष रखा जाना ।
राज्य सरकार प्रत्येक वर्ष विधान मंडल के दोनों सदनों के समक्ष बजट के साथ-साथ राजकोषीय नीति सम्बन्धी निम्नलिखित वरणों को रखेगी .
    (क) वृहद् आर्थिक रूपरेखा विवरण, 
    (ख) मध्यावधि राजकोषीय नीति विवरण और 
    (ग) राजकोषीय नीति कार्ययोजना विवरण

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